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Swami Dayanand Saraswati Biography in Hindi स्वामी दयानंद सरस्वती जीवन परिचय



Swami Dayanand Saraswati Biography in Hindi स्वामी दयानंद सरस्वती


स्वामी दयानंद सरस्वती के बचपन का नाम मूलशंकर था। इनका जन्म गुजरात के मौरवी में 12 फरवरी, 1824 को हुआ था। 21 साल की उम्र में इन्होंने अपना घर छोड़ दिया और दंडी स्वामी पूर्णानंदा के साथ भ्रमण पर  निकल गये जिन्होंने इनको मूलशंकर से स्वामी दयानंद सरस्वती नाम दिया।


Swami Dayanand Saraswati Biography in Hindi स्वामी दयानंद सरस्वती जीवन परिचय
Swami Dayanand Saraswati Biography in Hindi स्वामी दयानंद सरस्वती जीवन परिचय


पिता का नाम-
अंबाशंकर तिवारी
माता का नाम-
अमृत बाई
बचपन का नाम-
मूलशंकर तिवारी
इनके गुरु-
विरजानन्द
कार्य-
आर्य समाज के संस्थापक और समाज सुधारक
शिक्षा-
वैदिक ज्ञान
जन्म समय-
12 फरवरी सन्-1824
जन्म स्थान-
टंकारा (गुजरात)
मृत्यु समय-

मृत्यु स्थान-
30 अक्टूबर सन् 1883

अजमेर (राजस्थान)..
धर्म-

दर्शन-
हिन्दू सनातन धर्म

आधुनिक भारतीय दर्शन और वेदों की ओर चलों


सामाजिक सुधार:-


स्वामी दयानंद सरस्वती वेदों के अध्यापन में बहुत भरोसा रखते थे। इन्होंने क नारा दिया था- वेदों की ओर लौटो मूर्तिपूजा और दूसरे अंधविश्वासों को फैलाने के लिए इन्होंने हिन्दी धर्म क विषय वस्तु पूरन की खिलाफत की है।

वो हिन्दू के नाम पर जारी सभी गलत चीजों के खिलाफ बहस करते थे तथा हिन्दू दर्शन को पुनः प्रचारित करने का प्रयास करते थे। वो बेहद आक्रामकता से सभी सामाजिक बुराइयों जैसे जाति प्रथा आदि का विरोध करते थे लेकिन उनका मानना था कि ये पेशे और कार्य के आधार पर होना चाहिए। 

वो महिलाओं कि शिक्षा के अधिकार तथा समान सामाजिक स्थिति के समर्थक और हिमायती थे साथ ही उन्होंने अस्पृश्यता और बाल विवाह आदि के खिलाफ अभियान भी चलाया। 

वो अंतर्जातीय विवाह और विधवा विवाह के समर्थक थे।साथ ही शूद्रों और महिलाओं को वेदों को पढ़ने तथा उच्च शिक्षा की आजादी के भी समर्थक थे। अपने विचारों को आगे बढ़ाने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 मे आर्य समाज की स्थापना की। 

उनका मुख्य लक्ष्य हिन्दू धर्म को प्रचारित करना और उनमें सुधार करना तथा सच्चे रूप मे वैदिक धर्मों की पुनः स्थापना करना था। भारत को सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक तौर पर एक समान तथा भारतीय सभ्यताओं और संस्कृति पर पश्चिमी प्रभाव पड़ने से रोकना। 

हालांकि आर्य समाज के सभी अच्छें कार्यों के बावजूद वो अपने शुद्धि आंदोलन को लेकर विवादित भी हो गये थे जिसके तहत जो व्यक्ति दूसरे धर्मों मे चला गयाहै वो हिन्दू धर्म में फिर से लौट सकता है। 

लेकिन इन सबके बावजूद भी भारत की सामाजिक बुराइयों खासतौंर से हिन्दू के अन्दर की बुराई को हटाने मे इनका बहुमूल्य योगदान है। ये भारतियों को गर्व का अनुभव कराते हैं, एऩी बेसेंट ने कहा था कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने यह घोषणा की थी कि भारत भारतियों के लिए हैं।



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