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Essay on Flood in Hindi—बाढ़ पर निबंध


Essay on Flood in Hindi—बाढ़ पर निबंध


आज हम Essay on Flood in Hindi—बाढ़ पर निबंध पर चर्चा करने जा रहे हैं। जब कभी किसी स्थान पर चाहे वह मैदान हो, या नदी हो या फिर झील हो रहने के लिए, आवासीय कालोनियाँ हो, वहाँ पर सामान्य से अधिक जल आ जाए तो इस स्थिति को हम बाढ़ (Flood) के नाम से पुकारते हैं,  

Essay on Flood in Hindi—बाढ़ पर निबंध
Essay on Flood in Hindi—बाढ़ पर निबंध 

A Flood is normally a heavy body of water which flows very fast and covers a large area of land other places usually of a lower level (एक बाढ़ सामान्यतया पानी का वह बड़ा भाग है जो तेजी से बहता है और जमीन के तथा अन्य स्थानों के निचले स्थानों को ढक लेता है। 

यह एक प्राकृतिक कार्यकलाप है जिसके अनके कारण है। इसके अतिरिक्त यह आपदा के साथ साथ वरदान भी साथ लिये आता है क्योंकि ऐसी स्थिति में जल वहाँ भी पहुंच जाता हैं जहाँ कभी कल्पना भी नही की जा सकती हों।

नुकसान की संख्या तो इतनी अधिक होती है कि अंदाजा लगाना कठिन है, हजारों पशु पक्षी और मानव मौत के घाट उतर जाते हैं, अनगिनत स्थल जलमग्न हो जाते है कई घर धराशायी हो जाते हैं। 

आवागमन के साधन रुक जाते है। खाना को क्या पीने के लिए भी जल की समस्या उत्पन्न हो जाती है। सच कहे तो यह एक ऐसी ठण्डी आग कि तरह है जिसमें सभी का जीवन नष्ट हो जाता है, चलिए बाढ़ पर और अधिक विस्तार में जानते हैं।

(A)- बाढ़ आने के कारण (Causes of Floods in Hindi)

1—जब भारी वर्षा एक समय पर ही हो।
2—जब भारी वर्षा का अचानक ही पिघलना शुरू हो जाए।
3—जब तेज हवाओं से समुद्री पानी की लहरें उछलकर पानी को जहाँ तहाँ फेंक देती है।
4—जब बाँध टुट जाये
5—जब बहती नदी अपना निर्धारित रास्ता छोड़कर अन्य स्थान से बहने लगे।
6—जब कोई पहाड़ी चट्टान फिसलकर पानी का अवरोधनक बन जाए।
7—जब एक से अधिक नदियाँ परस्पर मिल जाए।
8—जब स्थानीय जल निकासी व्यवस्था में शिथिलता आ जाए।

(B)- बाढ़ों के प्रकार (Kinds of Floods)

1—नदियों द्वारा बाढ़ (River Flood)

अपनी अधिकतम सीमा से अधिक जल ले जाने वाली नदियाँ बाढ़ का एक प्रमुख कारण होती है और इस प्रकार की बाढ़ को नदियों द्वारा बाढ़ की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसी स्थिति प्रत्येक स्तर पर दो वर्ष के कम से कम एक बार अवश्य आती ही है। 

कुछ ऐसी भी विश्व में नदियाँ है जिनमें प्रति वर्ष ही बाढ़ आती है। यघपि इन सबका विवरण देना असम्भव सा है पर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इऩ बाढ़ों से बहुत हानि होती है और ये बाढ़े अनेक स्थानों के लोगों को बहुत नुकसान पहुँचाती है।

2—समुद्रतटीय बाढ़े (Sea Coast Floods)

जब भारी तूफान के कारण अत्यधिक वेग से वायु का संचालन होता है तब समुद्र की लहरें अथाह जलराशि को समुद्र तट पर तथा उसके अन्दर तर द्वीपों पर फेंक देती है। वायु का वेग कभी कभी इतना प्रचण्ड होता है कि सभी उपायों के बावजूद उन्हें नियंत्रित नही किया जा सकता है। 

प्राकृतिक रुप से ही यह भयंकर ताण्डव शान्त होता है और तब तक न जाने कितना नुकसान हो जाता है। हजारों से लाखों लोग मौत के घाट के शिकार हो जाते है। शहर, बस्तियाँ और भारी निर्माण नष्ट हो जाते हैं। 

रेल, सड़क यातायात टूट जाते है, बिजली व पीने के जल की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है। जीवित पशुओं को चारे, मनुष्यों को भोजन आवास कपड़े का अभाव हो जाता है। अनेक प्रकार के रोग जीवन को और दुःखदायी बना देती है।

3—अन्य प्रकार की बाढ़े (Other Kinds of Floods)

कुछ बाढ़े इस प्रकार की भी होती है, जो न तो प्राकृतिक होती है और न ही किसी आपात स्थिति के आने पर होती है इस प्रकार की बाढ़ों में एक अत्यन्त महत्वपूर्ण उदाहरण बाँधो में दरार का है। 

जब बड़ा बाँघ किसी भी कारण रिसने लगता है, तो उससे निकलते धारा प्रवाह जल के आस पास के क्षेत्र जलमग्न हो जाते है कोई तुरन्त निश्चित उपाय न खोज पाने के कारण यह जलमग्न स्थिति महीनों तर बनी रहती है। 

भूकम्पों के कारण भी जमीन की सतह की समतलता का अन्तर बाढ़ लाने से सक्षम होता है। नदियों का बहाव उलट जाता है, झीलों का पानी निकलकर और नीची सतहों पर चला जाता हैं।

(C)--बाढ़ नियंत्रण (Flood Control)

बाढ़ नियंत्रण के लिए कुछ सुझावों की अभिसंसा की गई है। यघपि इससे बाढ़ो को पूर्ण रूप से रोका तो नहीं जा सकता है, पर उनकी विकरालता में कमी अवश्य लाई जा सकती है। इनको निम्न प्रकार से समेकित किया जा सकता है—

1—अधिक भूमि में खेती करिए और अधिक पेड़ उगाइए।
2—पहाड़ी क्षेत्रों के जल निष्कासन क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियाँ अथवा भारी निर्माण न करायें।
3—जल निष्कासन व्यवस्था को पुख्ता करिए।
4—अधिक जल बहने की सम्भावना वाले क्षेत्रों में बाँधों का निर्माण करिए।
5—समुद्र तट के सहारे बड़े बड़े दीवापें ज्वार से आने वाली बाढ़ों को रोक लेती है।
6—बाढ़ आ जाने के समय निम्न व्यवस्थाएँ अभिशंसित हैं।
8—रेत से भरे मिट्टी के बोरों की बाड़ लगाइए।
9—सरक सकने वाले लकड़ी के दरवाजों की व्यवस्था रखिए।
10—ऊँचे ऊँचे पत्थरों से निर्मित अवरोधक जल प्रवाह के रास्ते में बनाइए।
11—पानी के शीघ्र वितरण की तकनीकी प्रक्रिया अपनाइएँ।
12—यदि बाढ़ का कारण बड़े जल भण्डारण से रिसाव है तो या तो उसे तुरन्त बन्द करिए या रिसाव को धारा के रूप मे बदल दीजिए।
13—यदि बाढ़ीय जल की ऊँचाई की अप्रत्याशित सम्भावना हो तो तटीय दीवारों की ऊँचाई बढ़ा दीजिए।

(D)—बाढ़ा की चेतावनी (Flood Warning)

बाढ़ को ठंडी आग कहा गया है। आग सेतो कुछ बचाया भी जा सकता है पर बाढ़ आने पर मनुष्य मवेशी,  मकान सम्पत्ति, सभी एक झटके मे बह जाते है और उनका अता पता भी नही लगता है। 

प्रशासन को ऐसे क्षेत्र के व्यक्तियों को जो बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के अन्तर्गत आते है, कुछ अग्रिम चेतावनी का प्रावधान रखना चाहिए, जिससे वे अचानक घटिक होने वाले हादसे से जूझने को तैयार हो सके। 

स्वयं गाँव अथवा नगर के ऊँचे स्थानों पर अस्थायी निवास कर लें तथा जितना संभव हो उतना अपना सामान अपने साथ लगाकर उसे बचा सकें। कुछ सुझाव निम्न प्रकार हो सकते है—

1—चेतावनी हेतु चिन्हित बोर्डों को लगाना।
2—आकाशवाणी, दूरदर्शन अथवा केब्लस पर लगातार चेतावनियों का प्रसारण।
3—हरे, पीले और लाल बिजली के संकेतक।
4—बिजली अथवा हस्तचलित सायरन्स से सूचित करना।
5—जलसाधारण को समस्त क्रिया प्रणाली से अवगत रखना।


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