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भू-राजस्व व्यवस्था संवैधानिक विकास India Act


भू-राजस्व व्यवस्था (British Bhu Rajaswa Vyavastha)

ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भू-राजस्व पद्धति सर्वप्रथम 1762ई. में बर्दवान और मिदानापुर क्षेत्रों में इजारादारी प्रथा के रूप में लागू हुई जिसमें तीन वर्ष तक भूमि कर वसूलने के लिए सार्वजनिक नीलामी होती थीं।

भू-राजस्व व्यवस्था संवैधानिक विकास India Act
भू-राजस्व व्यवस्था संवैधानिक विकास India Act


स्थायी बन्दोबस्त
(Sthai Bandobast Kisne Lagu kiya)

इसे गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस, राजस्व बोर्ड के प्रधान सर जॉन शोर तथा अभिलेख पाल जेम्स ग्रांट ने लागू किया स्थायी बन्दोबस्त को जमींदारी, जागीरदारी, मालगुजारी, इस्तमारी आदि नामों से भी जाना जाता है। Sthai Bandobast Kab Lagu Hua-1793 में इसे बंगाल बिहार उड़ीसा तथा बाद में उत्तर प्रदेश बनारस तथा उत्तरी कर्नाटक में भी लागू किया गया। इस व्यवस्था में 9/10 भाग कम्पनी को दिया गया है।

महालवारी व्यवस्था (Mahalwari Vyavastha Kya Hai)

स्वप्रथम 1819 ई. में हाल्ट मैकेंजी ने महालवारी पद्धति का प्रस्तवा रखा। इसे गंगा के दोआब, पश्चिमोत्तर प्रान्त, मध्य भारत और पंजाब में लागू किया गया। इसे अधिनियम 7 भी कहा जाता है।

रैयतवाड़ी व्यवस्था (Raiyatwadi Vyavastha Kya Hai)

यह व्यवस्था 1820 ई. में मद्रास प्रेसिडेंसी में टामस मुनरो तथा रीड की संस्तुतियों के आधार पर लागू की गई। इससे पूर्व 1792 तथा 1808ई. में प्रायोगिक रूप से यह प्रणाली लागू की गई। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कम्पनी सीधे किसानों से 33 प्रतिशत राजस्व प्राप्त करती थी। इसमें कृषकों को ही भू-स्वमी माना गया। बशर्ते यह भू-राजस्व चुकाता हो। इस प्रकार वास्तव में किसान बटाईदार मात्र थे।

संवैधानिक विकास (Constitutional Development)

इस प्रथम एक्ट द्वारा ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यो पर नियन्त्रण का प्रयास किया। इसके तगत् कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। बंगाल का गवर्नर अब गवर्नर जनरल बन गया। प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग था।

पिट्स इण्डिया एक्ट (1784ई.) (Pitt's India Act 1784 in Hindi)

भारत में कम्पनी पर नियन्त्रण के लिए बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल का गठन। बम्बई तथा मद्रास प्रेसीडेंसी भी बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन थी।

1793 का चार्टर एक्ट (Charter Act 1793 in Hindi)

इसके द्वारा कम्पनी का व्यापारिक अधिकार 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया। सेना का सर्वोच्च सेनापति भी गवर्नर जनरल को बनाया गया।

1833 का चार्टर एक्ट (1833 Ka Charter Adhiniyam in Hindi)

व्यापारिक विशेषाधिकार की समाप्ति। बंगाल का गवर्नर जनरल अभ भारत का गवर्नर जनरल बन बन गया।

1853 का चार्टर एक्ट (1853 Ka Charter Adhiniyam in Hindi)

लॉर्ड डलहौजी को प्रथम वास्तविक गवर्नर जनरल बनाया गया। नियन्त्रक बोर्ड ने भारतीय सिविल सर्विसेज के सदस्यों के लिए एक प्रतियोगी परीक्षा द्वारा भर्ती का अधिकार दिया गया।

1858 का भारत सरकार अधिनियम 

बोर्ड ऑफ कंट्रोल और कोर्ट ऑफ डायरेक्टर की समाप्ति। भरात मन्त्री की नियुक्ति जो ब्रिटिश कैबिनेट का सदस्य होता था। अब भारत पर ब्रिटिश क्राउन यानि महारानी का सीधे अधिकार हो गया।

1909 का एक्ट

निर्वाचन पद्धति का आरम्भ तो 1892 के एक्ट से हो गया था। बाद में मार्ले-मिन्टों एक्ट यानि 1909 के एक्ट के तहत मुस्लिमों के लिए अलग निर्वाचन व्यवस्था की गई। अंग्रेजों ने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया।

1919 का एक्टो

इसे मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से भी जाना जाता है। इसके द्वारा प्रान्तों  में द्वैध शासन व्यवस्था स्थापित की गई। पृथक् निर्वाचन मण्डल का दायरा बढ़ाकर सिखों को भी इसमें शामिल किया गया।

1935 का एक्ट

एक एक्ट मे अखिल भारतीय संघ की स्थापना की बात की गई। यह संघ भारतीय रियासतों और अंग्रेजी भारत से मिलकर बनना था, परन्तु रियासतों ने इसे मानने से इनकार कर दिया। प्रान्तीय द्वैध शासन की समाप्ति। प्रान्तीय स्वायत्तता तथा प्रान्तों मे जवाबदेह सरकार की स्थापना हुई। दिल्ली मे एक संघीय न्यायालय तथा रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की भी स्थापना हुई।

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