भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम व समाज सुधारक
1857 की क्रांति की शुरुआत |
1857 की क्रान्ति व कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
1. 10 मई 1857ई. को सैन्य विद्रोह मेरण से आरम्भ हुआ। इसे भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम भी कहा जाता है।
2. प.बंगाल के बैरकपुर में 29 मार्च 1857ई. को 34वी. एन आई. रेजीमेण्ट के सैनिक मंगल पाण्डे ने अपने सार्जेट की हत्या कर दी, परिणामस्वरूप 34वी. एन. आई को भंग कर कर दिया गया और मंगल पाण्डे को फाँसी दे दी गयी। 10 मई 1857ई. को 20 एन.आई के सैनिको ने विद्रोह कर दिया।
3. 11 मई, 1857ई. को विद्रोही सैनिक दिल्ली पहुँचे और 12 मई. 1857ई. को दिल्ली पर अधिकार कर बहादुरशाह को अपना नेता तथा भारत का सम्राट घोषित कर दिया परंतु वास्तविक नेतृत्व सैनिक नेता जनरल बख्त खाँ के पास था।
4. 21 दिसम्बर 1857ई. को अंग्रेजी सेना ने दिल्ली पर पुनः कब्जा कर दिया। लेफ्टिनेन्ट हडसन ने धोखे से बहादुरशाह द्वितीय के परिवार को मार दिया व उन्हे रंगून भेज दिया गया।
1857 के विद्रोह पर चर्चित पुस्तकें
आर सी मजूमदार |
द सिपॉय म्यूटिन एण्ड व रिवोल्ट ऑफ 1857 |
एरिक स्टोक्स |
पीजेन्ट एण्ड द राज |
पी.सी. जोशी |
रिवेलियन 1857 |
अशोक मेहता |
द ग्रेट रिबेलियन |
जे.डब्ल्यू के |
ए हिस्ट्री ऑफ द सिपॉय वार इन इण्डिया |
बी.बी. मालसेन |
इण्डियन म्यूटिनी ऑफ 1857 |
एन.एन.सेन |
1857 |
एस.बी. चौधरी |
थ्योरीज ऑफ इण्डियन म्यूटिनी |
एस.पी. चटोपाध्याय |
द सिपॉय म्यूटिनी ऑफ द रिवोल्ट ऑफ 1857 |
विनायक दामोदर |
रीसेन्ट राइटिंग्स ऑन द रिवोल्ट ऑफ 1857 |
विनायक दामोदर सावरकर |
1857 का भारतीय स्वतन्त्रता समर |
1857ई. के विद्रोह के संबंध में विभिन्न मत
सर जान लोरंस व सीले |
यर पूर्णयता सिपाही विद्रोह था |
डॉ. ईश्वरी प्रसाद |
यह स्वतन्त्रता संग्राम था |
मिस्टर के |
एक समांतवादी प्रतिक्रिया थी |
डॉ. रामविलास शर्मा |
जनक्रांति थी |
डिजरायली |
यह राष्ट्रीय विद्रोह था |
जेम्स आउट्रम, डब्लू, टेलर |
अंग्रेजों के विरूद्ध, हिन्दू मुस्लिम
षड्यन्त्र था |
एल आर रीस |
ईसाई धर्म के विरुद्ध एक धर्मयुद्ध था |
टी आर
होम्म |
सभ्यता एव बर्बरता का संघर्ष था |
वीर सावरकर |
यह विद्रोह राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए |
अशोक मेहता डॉ एस एन सेन |
सुनियोजित यह विद्रोह राष्ट्रीयता के अभाव में
स्वतंत्रता |
आर.सी. मजूमदार |
1857 का विद्रोह स्वतन्त्रता संग्राम नहीं
था। पी राबर्टस 1857 का विद्रोह एक सैनिक विद्रोह जिसका तात्कालिक कारण
चर्बीयुक्त कारतूस था |
- कानपुर में वद्रोहियों को नाना साहब, राव साहब, तात्या टोपे औऱ अजीमुल्ला खाँ ने नेतृत्व प्रदान किया। मेजर हैवलॉक ने नाना साहब को मुद्ध में रहा कर 17 जुलाई 1857ई. को कानपुर पर पुनः अधिकार किय लिया।
- लखनऊ में विद्रोहियों को अवध की बेगम हजरत महल तथा अहमदुल्ला ने नेतृत्व प्रदान किया।
- झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व मे विद्रोह हुआ। सर ह्रूरोज ने अप्रैल 1858ई. में रानी को युद्ध में हरा दिया। एक युद्ध में 17 जून 1858ई. में रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई।
- नाना साहब, बेगम हजरत महल और खान बहादुर खान नेपाल चले गए, जहाँ उनकी मृत्यु हो गई।